Bhopal Bada Talab : संकट में भोपाल का बड़ा तालाब, लोग पैदल ही पहुंचने लगे तकिया टापू

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Bhopal Bada Talab : संकट में भोपाल का बड़ा तालाब, लोग पैदल ही पहुंचने लगे तकिया टापू

Bhopal Bada Talab : एनजीटी ने आदेश दिए थे कि तालाब के फुल टैंक लेवल (एफटीएल) से 50 मीटर दूर तक सभी अतिक्रमण हटाए जाएं।

भोपाल। राजधानी की लाइफ लाइन बड़ा तालाब बीते दो सालों से सूखे की मार झेल रहा है। इसका असर शहर में जलसंकट बढ़ रहा है। बड़े तालाब से बैरागढ़, कोहेफिजा, ईदगाह हिल्स, शाहजहांनाबाद सहित पुराने शहर का बड़ा हिस्सा में पानी सप्लाई किया जाता है। लेकिन तालाब में पानी की कमी के कारण जलसंकट के हालात हैं। अगर यही हालात रहे न तालाब बचेगा न ही पानी। तालाब 26 मार्च को 1652 फीट यानी डेड स्टोरेज लेवल तक पहुंच गया। वर्तमान लेवल 1651.10 फीट है।

जानकारों की मानें तो तालाब नहीं नहीं भर पाने की एक बड़ी वजह इसके कैचमेंट में बड़ी संख्या में अतिक्रमण होना है। इससे बारिश के दौरान तालाब में आने वाले पानी का प्रवाह रुक जाता है। मानसून आने में अभी वक्त है, इस बीच जिला प्रशासन और नगर निगम की इच्छा शक्ति यदि तालाब को बचाने की है तो अतिक्रमण हटाया जा सकता है। प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार भी आ गई लेकिन तालाब को बचाने में कोई प्रयास नहीं किया गया।

एनजीटी के आदेश दिए थे कि तालाब के फुल टैंक लेवल (एफटीएल) से 50 मीटर दूर तक सभी तरह के अतिक्रमण हटाए जाएं। साथ ही एफटीएल से 300 मीटर दूर तक किसी तरह के निर्माण की अनुमति न दी जाए। लेकिन तीन-चार सालों में इस पर अमल नहीं हो पाया।

तालाब में 600 अतिक्रमण चिन्हित

तत्कालीन कलेक्टर सुदाम खाडे के निर्देश पर पिछले महीने सर्वे शुरू हुआ था। अप्रैल महीने में जिला प्रशासन की टीम ने खानूगांव से भैंसाखेड़ी तक 600 अतिक्रमण चिन्हित किए थे। लेकिन आचार संहिता के बाद कार्रवाई होनी थी। लेकिन अब तक कोई तैयारी नहीं है। इधर, बारिश शुरू होने के बाद अतिक्रमण पर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाएगा। ढाई साल पहले अगस्त 2016 में निगम और जिला प्रशासन ने खानूगांव से बोरवन तक 120 अतिक्रमण चिन्हित किए थे। इसमें से 50 से अधिक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हुई थी। खानूगांव की बारी आई तो स्थानीय रहवासियों के विरोध के बाद कार्रवाई रोक दी गई। इसके बाद अतिक्रमण चार गुना बढ़ गए।

भदभदा में 200 अतिक्रमण, मकान देने के बाद नहीं हटाए

आईआईएफएम पहाड़ी से सटे भदभदा एरिया में तालाब के केचमेंट में बने 200 कच्चे पक्के निर्माण हैं। मई 2018 में इन निर्माणों को हटाने के लिए नगर निगम ने 194 हितग्राहियों को चिन्हित कर राजीव आवास योजना के तहत भानपुर इलाके में पक्के मकान आवंटित किए थे। लेकिन लोगों ने आवंटित मकानों में रहने से इंकार कर दिया। वोट बैंक के चलते स्थानीय नेताओं ने इन्हें नहीं हटने दिया। मुश्किल ये है कि बस्ती से निकलने वाला गंदा पानी सीधे तालाब में मिल रहा है। जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।

कहां कितने अतिक्रमण

खानूगांव- 47

बोरवन- 400

हलालपुर- 3

बेहटा- 100

भैंसाखेड़ी- 50

भदभदा- 200

कुल- 800 से अधिक अतिक्रमण

एक्सपर्ट व्यू

इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है कि इतने सालों में तालाब का सीमांकन और चिन्हांकन नहीं हो पाया। इससे सरकार की नीयत का भी पता चलता है। अतिक्रमण करके तालाब के सभी स्त्रोत बंद कर दिए गए हैं। इससे न केवल तालाब में पानी की मात्रा बल्कि गुणवत्ता भी खराब हो रही है। यह बात ध्यान में रखने वाली है कि तालाब का दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

डॉ.सुभाष सी.पांडेय, पर्यावरणविद

10 साल चौथी बार सूखा तालाब…एक नजर में हालात

– फुल टैंक लेवल- 166.80 फीट

– डेड स्टोरेज लेवल- 1652 फीट

– 2008 में तालाब का लेवल 1655 फीट भर पाया था। इसके बाद 2009 से शहर में एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई शुरू की गई, जो 2013 तक चली।

– वर्ष 2018 में कम बारिश से 1661 फीट तक ही भर पाया था। जिससे जलसंकट पैदा हुआ।

– वर्तमान लेवल- 1651.10 फीट

– तालाब में पानी 36 वर्ग किमी से घटकर करीब 8 किमी पहुंचा

यह है नुकसान

– तालाब नहीं भरने से डेड स्टोरेज लेवल से नीचे तालाब का पानी लिया जाता है। इससे तालाब 1650 फीट नीचे पहुंच जाता है। इसके बाद इसे भरने के लिए सामान्य से ज्यादा बारिश की जरूरत पड़ती है।

– डेड स्टोरेज लेवल से पानी लिए जाने से तालाब का ईको सिस्टम प्रभावित होता है। पानी में बीओडी, सीओडी की मात्रा बढ़ने और ऑक्सीजन की कमी से जलीय जीवों पर मरने का खतरा बढ़ जाता है।

– तालाब में पानी की कमी होने पर इसकी गुणवत्ता भी खराब होती है। ऐसे में यही पानी पीने के लिए सप्लाई किया जाता है।

इनका कहना है

तालाब बचाना है तो इसे भरना जरूरी है। यह तभी भरेगा जब कैचमेंट में ध्यान दिया जाए। तालाब के मुख्य स्त्रोत कोलांस और उलझावन नदी हैं, इनका गहरीकरण जरूरी है। एनजीटी अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुका है लेकिन आज तक इसका पालन नहीं हो पाया। यह चिंता की बात है।

हरीश भावनानी, संयोजक भोपाल सिटीजन फोरम

तालाब में पानी के लिए नदियों का अहम रोल है। इन नदियों से तालाब में पानी ज्यादा से ज्यादा पहुंच सके, इसके लिए इनका चौड़ीकरण और गहरीकरण होना चाहिए।

-मोहम्मद सऊद, पार्षद वार्ड नंबर 8

तालाब शहर की लाइफ लाइन है, इससे सभी तरह के अतिक्रमण हटना चाहिए। निगम तैयार है बशर्ते जिला प्रशासन का सहयोग मिले। मैं अतिक्रमण हटाने के संबंध में नगरीय विकास मंत्री, कलेक्टर और संभागायुक्त को पत्र भी लिखूंगा। पिछले साल निगम द्वारा कोलांस नदी में गहरीकरण भी किया गया था। तालाब बचाना सभी की जिम्मेदारी है।

आलोक शर्मा, महापौर

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