छिंदवाड़ा के शब्बीर बक्श ने रोजा खोलने के बाद रक्तदान कर पेश की अनूठी मिसाल।
जितेंद्र राजपूत, छिंदवाड़ा। मरीजों को उनके अपने ही खून देने से कतराते हैं और दूसरों का खून खरीदने के लिए अस्पतालों, ब्लड बैंकों के चक्कर लगाने लगते हैं। लेकिन शुक्रवार को 44 डिग्री तापमान में छिंदवाड़ा के 58 वर्षीय एक रोजेदार ने सिकलसेल से पीड़ित एक किशोर को अपना खून देकर उसकी जान बचाकर अनूठी मिसाल पेश की है।
शुक्रवार शाम को सोल्जर सिटी ग्रुप पर ग्रुप के ही किसी सदस्य ने मैसेज किया कि जिला अस्पताल में भर्ती सिकलसेल से पीड़ित एक 14 साल के किशोर को तत्काल बी पॉजीटिव रक्त की जरूरत है। यह मैसेज पढ़ने के बाद इसी ग्रुप के सदस्य शब्बीर बक्श (58) ने शाम को अपना रोजा खोला और तत्काल जिला अस्पताल पहुंचकर उस जरूरतमंद किशोर को ब्लड डोेनेट किया। रोजे के दौरान शब्बीर बक्श द्वारा रक्तदान कर जो मिसाल पेश की है, उसकी हर ओर तारीफ हो रही है।
लगातार सक्रिय है यह ग्रुप
सोल्जर सिटी ग्रुप के सदस्य अंशुल पहाड़े ने बताया कि सोल्जर सिटी ग्रुप समाज सेवा से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में 8 सिकलसेल से पीड़ित बच्चों को समूह द्वारा लगातार रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है, जो व्यक्ति रक्तदान करने आगे आता है उन्हें सम्मानित भी किया जाता है। अब तक ग्रुप के माध्यम से तकरीबन 198 जरुरत मंदों को ब्लड डोनेट किया गया है। यह ग्रुप पिछले 6 माह से लगातार सक्रिय है।
मैंने रोजा खोला और ब्लड देने जिला अस्पताल पहुंच गया
मैं शहर के सोल्जर सिटी ग्रुप से लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं। शुक्रवार को मैंने रोजा रखा था। इस दौरान व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज पढ़ा कि जिला अस्पताल में सिकलसेल से पीड़ित एक बच्चे को तत्काल ब्लड की जरूरत है। शाम सात बजे रोजा खोलने के बाद जिला अस्पताल पहुंचा और मैंने बच्चे को अपना ब्लड दिया। मैंने महान कार्य नहीं किया है, बल्कि मानवता के नाते मरीज की जान बचाने अपना ब्लड दिया है।
– जैसा शब्बीर बक्श ने बताया