मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली होने की वजह से खेती के लिए अधिक बिजली उपलब्ध कराने पर जोर।
भोपाल। कर्जमाफी के बाद सरकार किसानों के लिए एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में जुट गई है। ऊर्जा विभाग किसानों को जल्द ही दस घंटे से अधिक बिजली देने की योजना लागू कर सकता है। इसके लिए ऊर्जा विभाग फार्मूला तैेयार करने में जुट गया है।
इसमें किसान को अलग से तय दरों का भुगतान करके अधिक बिजली का उपयोग करने की पात्रता मिलेगी। निर्धारित समय से अधिक बिजली का उपयोग करने की दर का निर्धारण लागत, वितरण सहित अन्य खर्च के हिसाब से होगा। उच्च स्तर से संकेत मिलने के बाद बिजली कंपनियों ने इसका गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिया है।
प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ने से कृषि उत्पादन बढ़ गया है। इस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में भी पहले से सुधार हुआ है। किसान बहुफसल लेने लगा है। कई किसान फल, फूल और सब्जी की खेती के क्षेत्र में बढ़े हैं। इसका फायदा भी हो रहा है। इसके और विस्तार की संभावना है पर बिजली की कमी इसमें बड़ा रोड़ा है।
दरअसल, फल, फूल और सब्जी की फसलों को गेहूं, चना या अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में अधिक पानी की दरकार होती है। सिंचाई पंप चलाने के लिए बिजली चाहिए, लेकिन प्रदेश में दस घंटे कृषि कार्य के लिए बिजली देने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कमलनाथ कृषि, सहकारिता और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को कह चुके हैं कि परंपरागत तरीके से खेती फायदा का धंधा नहीं बन सकती है। इसके लिए नवाचार करने होंगे।
इसमें संसाधन भी लगेंगे, जिन्हें जुटाया जा सकता है। वहीं, यह एकमात्र क्षेत्र ऐसा है, जहां रोजगार की सर्वाधिक संभावना है। प्रदेश में सरप्लस बिजली है। 14 हजार मेगावॉट तक आपूर्ति की जा चुकी है। इसे देखते हुए ऊर्जा विभाग ने दस घंटे से ज्यादा बिजली देने के फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है।
बिजली कंपनियों से कहा गया है कि वे दस घंटे के बाद बिजली देने पर दर क्या होनी चाहिए। आपूर्ति का सिस्टम क्या रहेगा। अलग से ट्रांसफार्मर लगेंगे या फिर मौजूदा व्यवस्था में ही अलग से मीटर लगाकर काम किया जा सकता है, जैसे बिंदुओं का आकलन करें।
सात सौ रुपए हार्सपॉवर के हिसाब से मिल रही है बिजली
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद किसानों को पहले की तुलना में आधी दर पर बिजली दी जा रही है। शिवराज सरकार ने शिवकुमार शर्मा की अगुवाई में भोपाल में रोशनपुरा चौराहे से पॉलिटेक्निक चौराहे तक महाजाम लगाने के बाद 12 सौ रुपए प्रति हार्सपॉवर प्रतिवर्ष के हिसाब से बिजली देना शुरू किया था। कांग्रेस सरकार आने के बाद इस दर को मात्र सात सौ रुपए प्रति हार्स पॉवर प्रतिवर्ष कर दिया।
साढ़े छह रुपए यूनिट आती है लागत
सूत्रों के मुताबिक बिजली की लागत अभी साढ़े छह रुपए यूनिट आ रही है। यह घटती-बढ़ती रहती है। इसमें बिजली बनाने में होने वाले खर्च के साथ ट्रांसमिशन लॉस, ट्रांसफार्मर और लाइन डालने का खर्च आदि भी शामिल है। इस हिसाब से देखा जाए तो किसान को दस घंटे से अधिक बिजली लेने के लिए मौजूदा दर से दोगुना से अधिक बिल चुकाना पड़ सकता है।
अलग-अलग दर पर बिजली देने हो रहा विचार: ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया कि प्रदेश में सरप्लस बिजली है। किसानों को दस घंटे बिजली दी जा रही है। उद्यानिकी फसलों के लिए किसानों को अधिक बिजली की जरूरत होती है। ऐसे किसानों को अलग दर पर बिजली देने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए फार्मूला तैयार करने का काम हो रहा है।