ऊर्जा विभाग के अफसरों ने समीक्षा के दौरान सीएम कहा कि बिजली सरप्लस है तो मुख्यमंत्री ने विंध्य, चंबल और मालवा क्षेत्र में लगवाए फोन।
भोपाल। सर, प्रदेश में सरप्लस बिजली है। आंधी-तूफान की वजह से बिजली की कहीं-कहीं समस्या आई है। पॉवर कट कहीं नहीं हो रहा है। अघोषित कटौती कहीं नहीं हो रही है। पिछले साल के मुकाबले पॉवर कट में 40 फीसदी की कमी आई है।
जब यह बात ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियों के अधिकारी मुख्यमंत्री कमलनाथ को बता रहे थे तो उन्होंने प्रेजेंटेशन को रुकवाया और कहा कि आपके हिसाब से यदि बिजली की स्थिति ठीक है, तब तो इस बैठक का कोई मतलब नहीं है। सभी जिलों से शिकायतें आ रही हैं।
इसकी पुष्टि के लिए मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगी मुकेश को फोन लगाने के निर्देश दिए। विंध्य, चंबल और मालवा क्षेत्र में चार-पांच फोन लगाकर उन्होंने स्पीकर चालू कर अधिकारियों के बिजली की मैदानी हकीकत सुनवा दी। मुख्यमंत्री ने अफसरों को दो-टूक निर्देश दिए कि सरप्लस बिजली के बाद कटौती बर्दाश्त नहीं। 30 जून तक हर हाल में मेंटेनेंस का काम पूरा करें।
बिजली को लेकर प्रदेशभर से आ रही शिकायत और कटौती के फीडबैक को लेकर मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मंत्रालय में करीब ढाई घंटे समीक्षा की। इस दौरान उनका जो सख्त रूप नजर आया, उससे अफसर सकते में आ गए। दरअसल, जब अधिकारी बिजली गुल होने की बात को उपलब्धता और आपूर्ति के आंकड़ों से ढांकने की कोशिश करने लगे तो उन्होंने फोन का स्पीकर खोलकर मैदानी हकीकत से रूबरू करा दिया।
सूत्रों के मुताबिक पहला फोन विंध्य के नीलांशू चतुर्वेदी को लगाया और कहा कि मैंने स्पीकर ऑन कर रखा है और बैठक में हूं, बिजली जा रही है या नहीं। पिछले साल से स्थिति ठीक बता रहे हैें। इस पर चतुर्वेदी ने कहा कि स्थिति पिछले साल से बदतर है।
इसी तरह ग्वालियर के महेश पंवार को फोन लगाकर बात सुनवाई। बैठक में जैसे ही अधिकारी ही कुछ बताने लगते तो मुख्यमंत्री उन्हे चुप करा देते। करीब एक घंटे तक उन्होंने बिजली अफसरों के हर बात पर सवाल खड़े किए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फटकारते हुए कहा कि आप कह रहे हो कि सब अच्छा चल रहा है पर हकीकत यह है कि आपके पास प्रशिक्षित अमला नहीं है। तीन साल में जो खरीदी की वो गुणवत्ताहीन थी। सरप्लस बिजली होने के बाद भी कटौती होना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता को कोई परेशानी हो तो सरकार इसे नजरअंदाज नहीं करेगी। अघोषित बिजली कटौती तो बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए।
अघोषित कटौती हमारी डिक्शनरी में नहीं, बेवजह किसी पर कार्रवाई नहीं: सिंह
ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया कि बिजली की अघोषित कटौती हमारी डिक्शनरी में नहीं है। कुछ जगह पर ट्रिपिंग या फाल्ट होने से बिजली जा रही है। षड्यंत्र के तहत विपक्ष अघोषित कटौती की बात फैला रहा है। 2017-18 की तुलना में ट्रिपिंग या फाल्ट की घटनाओं में भी 40 फीसदी की कमी आई है।
2016 से 2018 तक प्रतिदिन सुबह दो-दो घंटे बिजली जाती थी। ट्रांसफार्मर तक नहीं थे। बेवजह न तो इंजीनियर और न ही कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई की जाएगी, लेकिन कोई दोषी होगा तो उसे बख्शा भी नहीं जाएगा।
बिजली आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 30 जून तक मेंटेनेंस का काम युद्ध स्तर पर होगा। इस व्यवस्था में सुधार के लिए सलाहकार भी नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिजली को लेकर जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, उसे हम आलोचना के तौर पर नहीं लेंगे।
उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी अनुरोध किया कि वे इस संवेदनशील मुद्दे को समझें और जनता तक सही बात पहुंचाएं। पिछले एक साल से मेंटेनेंस का काम ही नहीं हुआ। इंदौर के पोलो ग्राउंड ग्रिड में आग लगने की घटना की जांच कराई जा रही है। इसमें कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई होगी। वहीं, घटिया गुणवत्ता की सामग्री खरीदी के मामले में कमेटी बनाकर जांच कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए यह निर्देश
- ऊर्जा विभाग अपनी पूरी प्रणाली और व्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाए।
- बिजली उपकरणों की खरीदी में गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।
- बिजली वितरण, सुधार तथा हर स्तर पर तैनात अमले को बेहतर ढंग से प्रशिक्षित किया जाए।
- उन राज्यों में अधिकारी भेजे जाएं, जहां बिजली आपूर्ति का प्रबंधन अच्छे से किया जा रहा है।
- तकनीकी खामियों पर पूरी तरह अंकुश लगाने योजना बनाकर तय समयसीमा में सुधार लाया जाए।
- उपभोक्ता के घरों में जाने वाले बिजली कनेक्शन वाले तारों का नियमित मेंटेनेंस किया जाए।
- मेंटेनेंस के लिए जो कटौती हो, उसके लिए पहले सूचना दी जाए और उपभोक्ता की सुविधा के हिसाब से समय चुना जाए।
- बिजली आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिए मेंटेनेंस के उपकरणों का आधुनिकीकरण करके सुधार लाया जाए।
- जून में तक सभी मेटेंनेंस के काम को योजना बनाकर पूरा करें।